दुःख का कोई वास्तव अस्तित्व नहीं है। दु:ख की अनुभूति एक स्वप्न की भांति है। जब हम श्रीकृष्ण से अपने सम्बन्ध को भूल जाते हैं तब दु:खों से ग्रस्त हो जाते हैं। शुद्ध भक्त, निरंतर श्रीकृष्ण-स्मरण के कारण दुःख की अनुभूति रूपी इस स्वप्न से परे होते हैं।
10-14-3
(श्री ब्रह्माजी द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुती)
ज्ञाने प्रयासमुदपास्य नमन्त एव
जीवन्ति सन्मुखरितां भवदीयवार्ताम् ।
स्थाने स्थिताः श्रुतिगतां तनुवाङ्मनोभिर्
ये प्रायशोऽजित जितोऽप्यसि
तैस्त्रिलोक्याम् ।।
जो लोग अपने प्रतिष्ठीत सामाजिक पदों पर रहते हुए ज्ञान-विधी का तिरस्कार करते हैं और मनसा वाचा कर्मणा आपके तथा आपके कार्यकलापों के गुणगान के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और आप तथा आपके द्वारा गुंजित इन कथाओं में अपना जीवन अर्पित कर देते हैं वे निश्चित रूप से आपको जीत लेते हैं अन्यथा आप तीनों लोकों में किसी के द्वारा भी अजेय हैं।
20 नवंबर, 2024
पंचमी, त्रिदंडी स्वामी श्रीमद् भक्ति विकास हृषिकेश महाराज का आविर्भाव।
26 नवंबर, 2024
उत्पन्ना एकादशी का व्रत। श्रील नरहरि सरकार ठाकुर जी का तिरोभाव।
27 नवंबर, 2024
प्रात: 10:28 के बाद पारण। श्रीकालिया कृष्ण दास और श्रीसारंग ठाकुर का तिरोभाव।