श्रील प्रभुपाद भक्तिसिद्धांत

जगद्गुरु श्रील प्रभुपाद भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी ठाकुर – श्रीजगन्नाथपुरी में श्रीजगदीश मन्दिर के पास, ‘नारायण छाता’ से संलग्न (लगे हुए) भवन में, श्रीभक्तिविनोद ठाकुर के हरिकीर्तन ते आप्लावित गृह में, श्रीमती भगवतीदेवी की गोद से, 25 माघ, कृष्णा – पंचमी तिथि, शुक्रवार, 6 फरवरी 1874 ई० स०, 1795 शकाब्द को, दिन के साढ़े तीन बजे के बाद, एक ज्योतिर्मय दिव्य छटा के रूप में, ॐ विष्णुपाद श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी प्रभुपादजी का आविर्भाव हुआ था। जिन लोगों ने, उस समय उस शिशु को देखा, वे सब, उनके शरीर में स्वाभाविक रूप से, यज्ञोपवीत के चिह को देखकर बड़े चकित हुए। श्रीभक्तिविनोद ठाकुर ने, श्रीजगन्नाथदेव की पराशक्ति श्रीविमलादेवी के नाम से, शिशु का नाम भी ‘श्रीविमलाप्रसाद’ रखा।