यथार्थ मंगल लाभ करने के लिए आपको श्रीमद् भागवत् के सातवें स्कंध में प्रह्लाद महाराज द्वारा वर्णित नवधा भक्ति अथवा श्रीचैतन्य महाप्रभु की शिक्षा के अनुसार साधु-संग, नाम-कीर्तन, भागवत्-श्रवण, मथुरा-वास व श्रद्धा से श्रीमूर्ति-सेवन आदि भक्ति के पांच मुख्य अंगों का यथावत् पालन करना होगा। भक्ति के इन सभी अंगों में से कलियुग के जीव के लिए नामसंकीर्तन सर्वश्रेष्ठ है।

श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज
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