वैष्णव के द्वारा शक्ति संचार

वैष्णव – निकटे यदि वैसे कतक्षण।
देह हैते हय कृष्णशक्ति – निःसरण ।

सेइ शक्ति श्रद्धावान् – हृदये पशिया।
भक्तिर उदय करे देह काँपाइया ।।

ये बसिल वैष्णवेर निकटे श्रद्धाय ।
ताहार हृदये भक्ति हइबे उदय ।।

प्रथमे आसिबे ता ‘र मुखे कृष्णनाम।
नामेर प्रभावे पा ‘वे सर्वगुणग्राम ।।

वैष्णव के निकट यदि कुछ समय तक बैठा जाये तो उनके शरीर से श्रीकृष्ण – शक्ति निकलकर श्रद्धावान हृदय को स्पर्श करके उसके शरीर को थोड़ा कंपाकर उसके हृदय में भक्ति उदय करा देती है। जो श्रद्धासहित वैष्णव के निकट बैठते हैं, उनके हृदय में भक्ति उदय होगी। जब किसी के हृदय में भगवद् – भक्ति उदित होगी तो सर्वप्रथम उस जीव के मुख से श्रीकृष्णनाम निकलेगा एवं हरिनाम के प्रभाव से वह तमाम सर्वगुणों को प्राप्त कर लेगा।

श्रीहरिनाम चिन्तामणि
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