वैष्णव लोग किस तरह से वैष्णव-धर्म पालन करेंगे
भक्तिर सद्भावे थाकि’ सत्क्रिया-करणे।
देवपितृगणे तुषे निर्माल्य – अर्पणे ।।
बहुदेवदेवी – पूजा करिबे वर्जन ।
कृष्णभक्त बलि’ सबे करिबे तर्पण ।।
श्रीकृष्ण – वैष्णवार्चने सर्वफल पाय।
नामे अपराध नहे, सदा नाम गाय ।।
भगवान की भक्ति के सद्- भावों में रहकर भगवान की भक्ति की विभिन्न क्रियाओं को करते रहना चाहिए तथा देवताओं व अपने पितरों की प्रसन्नता के लिए उन्हें भगवान का प्रसाद निवेदन करना चाहिए। बहुत से देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए। सभी देवी-देवता भगवान श्रीकृष्ण के दास व दासियाँ हैं, यह जानकर केवल श्रीकृष्ण भजन ही करते रहना चाहिए और यह भावना हृदय में रखनी चाहिए कि इस कृष्ण भजन के द्वारा सभी देवी – देवताओं की प्रसन्नता हो रही है। जीव, भगवान श्रीकृष्ण की पूजा व वैष्णवों की सेवा से सर्वसिद्धि प्राप्त कर लेता है, साथ ही इससे साधक का नाम अपराध भी नहीं होता है व हर समय उसके मुख से श्रीकृष्ण नाम निकलता रहता है या वह हर समय श्रीकृष्ण-नाम् गाता रहता है।
हरिनाम चिन्तामणि
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