कीर्तन आदि भक्ति के समस्त अंगों का पालन श्रीकृष्ण व श्रीकृष्ण-भक्तों की संतुष्टि के लिए करना है। वैष्णव अपराध कृष्ण-भक्ति में सबसे बड़ी बाधा है।
प्रचार केवल प्रचार के लिए नहीं है; इसका लक्ष्य केवल सांसारिक अनित्य लाभ प्राप्त करना नहीं है। सर्व मंगलमयी भगवान् श्रीकृष्ण की इच्छा से हम जहाँ भी जाएँ हमें भजन करना है। यह जीवन हमें भगवद्-भजन के लिए मिला है, इस वास्तविक सत्य का कभी भी विस्मरण नहीं करना है। सब कुछ इस जगत् में ही रह जाएगा; श्रीकृष्ण भक्ति के अतिरिक्त अन्य कुछ भी हमारे साथ नहीं जाएगा। इसलिए सांसारिक किसी अनित्य लाभ के लिए नित्य मंगल को त्याग देना बुद्धिमानी नहीं है। वैष्णव अपराध कृष्ण-भक्ति में सबसे बड़ी बाधा है। हमें भगवान् श्रीचैतन्य महाप्रभु की शिक्षाएँ सदैव स्मरण रखनी हैं।
मेरे विचार में यदि हम केवल प्रचार के लिए प्रचार करते हैं तो यह हमारे भजन की उन्नति के लिए लाभदायक नहीं है। कीर्तन आदि भक्ति के समस्त अंगों का पालन श्रीकृष्ण व श्रीकृष्ण-भक्तों की संतुष्टि के लिए करना है।
श्रीकृष्ण की महिमा का गान, उनके नाम, रूप, गुण और लीला का कीर्तन भक्ति का सर्वोत्तम अंग है। कीर्तन-भक्ति का पालन करने से प्रचार स्वतः ही हो जाता है। इसके लिए अलग से प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है।
वृन्दावन मठ में श्रीझूलन यात्रा उत्सव में सम्मिलित होने के पश्चात् व नई दिल्ली में कुछ आवश्यक कार्यादि समाप्तकर, मैं कीर्तन मंडली के साथ एक दिन पूर्व ही कलकत्ता वापिस आ गया हूँ।