श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ प्रतिष्ठान के उत्साही प्रचारकों में से एक श्रीमद् मंगल निलय ब्रह्मचारी की अग्रिम व्यवस्था में श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ प्रतिष्ठान के प्रतिष्ठाता, नित्यलीला प्रविष्ट ॐ 108 श्री श्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज विष्णुपाद जी ने, बुधवार 9 सितम्बर, 1959 को, हैदराबाद में शुभ पदार्पण करते हुए, विपुल भाव से श्रीचैतन्य वाणी. का प्रचार किया। गौड़ीय वैष्णवाचार्यों में सर्वप्रथम श्रीलं गुरु महाराज जी ने ही हैदराबाद में शुभ पर्दापण किया था । आन्ध्र प्रदेश के गवर्नर, श्री भीमसेन सच्चर, न्यायधीश श्री गोपाल राव एकवोटे, सेठ श्री जय चरणदास, सेठ श्री पूर्णमल, सेठ श्री उत्तम चन्द जी, सेठ श्री गोपाल राय, श्री विलास राय, श्री प्रह्लाद राय, श्री सुन्दर मल, श्री एम. एस. कोटेश्वरण, श्री हनुमान प्रसाद अग्रवाल, श्री टी. वेणु गोपाल रेड्डी, एडवोकेट, राजा पन्ना लाल पिति, श्री लक्ष्मी नारायण शर्मा, श्री राम निवास शर्मा तथा हकीम श्री रामेश्वर राव इत्यादि बहुत से स्थानीय व्यक्ति श्री गुरुदेव जी के सान्निध्य में आने का सौभाग्य प्राप्त करके धन्य हुए। श्रील गुरुदेव जी का हैदराबाद का प्रचार-संवाद कलकत्ता के ‘युगान्तर’ एवं हैदराबाद के ‘Deccan Chronicle’ समाचार-पत्रों में निम्न प्रकार से प्रकाशित हुआ-
( युगान्तर 15 अश्विन, 1366, 2 अक्तूबर, 1959)
86 ए, रास बिहारी एवेन्यु में स्थित श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ के सभापति, परिव्राजकाचार्य, त्रिदण्डि स्वामी श्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी ने 9 सितम्बर को संकीर्तन दल के साथ हैदराबाद में शुभ पदार्पण किया। विशिष्ट नागरिकों ने स्टेशन पर उनके प्रति विपुल सम्वर्धना ज्ञापन की । हैदराबाद व सिकन्दराबाद शहर के विभिन्न स्थानों में अनुष्ठित धर्म सभाओं में स्वामी जी ने भाषण दिए ।
आन्ध्र प्रदेश के गवर्नर श्री भीमसेन सच्चर जी ने, श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ के आचार्य व उनके संकीर्तन दल के हैदराबाद में शुभ आगमन पर भव्य स्वागत किया। राजभवन में एकत्रित विशिष्ट श्रोता, गवर्नर व उनकी सहधर्मिणी, स्वामी जी महाराज के भाषण व ब्रह्मचारी जनों के सुललित भजन कीर्तन सुनकर बड़े प्रसन्न हुए। श्री सच्चर जी ने जो अपनी धर्मपत्नी के साथ थे, स्वामी जी महाराज द्वारा दिया प्रसाद बड़ी श्रद्धा से ग्रहण किया। स्वामी जी ने अपने अभिभाषण में कहा कि श्रीचैतन्य महाप्रभु जी द्वारा प्रचारित प्रेम-धर्म विश्ववासियों के बीच यथार्थ एकता व प्रीति सम्बन्ध स्थापन कराने में समर्थ है। 20 सितम्बर को हैदराबाद के प्रधान प्रधान राजपथों से विराट संकीर्तन शोभा यात्रा भी निकाली गयी। सैंकड़ों सैंकड़ों नर-नारियों ने शोभा यात्रा में योगदान दिया। श्रीमन् महाप्रभु जी के भक्तों द्वारा प्रवर्तित मृदंगादि के साथ नृत्य – कीर्तन हैदराबाद के इतिहास में सर्वप्रथम ही है। 27 सितम्बर को हैदराबाद से वापसी से पूर्व All India Radio Station से, बेतार के तार द्वारा स्वामी जी महाराज का भाषण व ब्रह्मचारी जनों का कीर्तन रिकार्ड किया गया। उक्त बेतार वार्ता में स्वामी जी ने, देश व विदेशों की वर्तमान स्थिति की चिन्ता करते हुए, देश के नेताओं व विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय नेताओं को, विश्व शान्ति स्थापित करने के लिए श्रीचैतन्य महाप्रभु के द्वारा आचरित एवं प्रचारित प्रेम-धर्म को अवलम्बन करने के लिए निवेदन किया।
हैदराबाद में श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ के एक शाखा प्रचार केन्द्र की स्थापना हो चुकी है।
(The Deccan Chronicle, Sunday, September 20, 1959).
“Governor Bhimsen Sachar accorded an entertainment to His Holiness Parivrajak Acharya Tridandi Swami 108 Sree Sreemad Bhakti Dayita Madhav Goswami Maharaj, President of Sree Chaitanya Gaudia Math, Isodyan, Sreemayapur, Nadia, West Bengal and its branches all over India and his Sankirtan party at Raj Bhavan, Hyderabad on Tuesday, September 15.
The Swamiji addressed a largely attended respectable gathering at Raj Bhavan and explained the teachings of Lord Chaitanya Mahaprabhu and the Sankirtan party performed melodious Bhajan-Sankirtan. The Swamiji in his speech stated that Divine Love (Prem Bhakti) as taught and preached by Lord Sree Chaitanya Mahaprabhu is the greatest spiritual force on earth which can establish close relation of love and unity of hearts amongst all human beings and thereby can establish real peace in the world. Divine Love is more powerful than ‘Ahimsa’. All animated beings are inter-connected and inter-related and they are the parts of One Organic System-The all Pervading Soul. The knowledge of our common ralation to that Absolute Soul will foster in us love and affinity for each other. Lord Chaitanya Mahaprabhu teaches us to cultivate that Prema-Bhakti by Nama Sankirtanam Chanting of the holy name of Lord Sree Krishna. Nam Sankritan is the best Sadhan to achieve that goal in Kali Yuga. Namsankirtanam is an universal religion under which banner all, irrespective of caste, creed and religion can unite. At the conclusion of the meeting and Bhajan Kirtan, Swamiji offered Prasdam to Mr. and Mrs. Bhimsen Sachar and had the pleasure of having close friendly conversation with the Governor.”
प्रथम खण्ड समाप्त