पूर्व पाकिस्तान (बंगला देश) में श्रील गुरुदेव जी का शुभ पदार्पण व प्रचार

संन्यास ग्रहण करने के बाद श्रील गुरुदेव जी ने सम्पूर्ण भारत में शुद्ध भक्ति का प्रचार तो किया ही, इसके इलावा वे बंगला देश में भी उसके स्वतन्त्र होने से कुछ पहले व बाद में भी जाते रहे । जब आप बंगला देश में शुद्ध भक्ति के प्रचार के लिए जाते थे तो अक्सर आपके साथ श्री मिहिर प्रभु श्री संकर्षण प्रभु, श्री कृष्ण केशव ब्रह्मचारी, श्री राम गोविन्द ब्रह्मचारी, श्री त्रैलोक्य प्रभु, श्री महेन्द्र प्रभु, श्री ब्रह्मा, श्रीप्यारीमोहन ब्रह्मचारी, श्री यज्ञेश्वर दास बाबा जी महाराज आदि होते थे । आपने वहाँ के मैमन सिंह जिले में श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की वाणी का खूब प्रचार किया। इस जिले के बालियाटी, ढाका, नवाबगंज, कलाकोपा ग्राम, जामुकि, पाकुल्ला तथा चूड़ाइन आदि स्थान मुख्य थे-जहाँ आपने प्रचार किया। वहाँ के स्थानीय व्यक्ति जिन्होंने आपकी प्रचार में सहायता की थी उनमें डा० श्री मेघलाल पौद्दार, डा० रमनी मोहन सेठ, ज़मींदार हरि दास चौधरी, पूज्यपाद श्रीमद्भक्ति कुसुम श्रमण महाराज के पूर्वाश्रम के सम्बन्धी, श्रीभक्ति स्वरूप पर्वत महाराज के शिष्य, श्री भक्ति प्रकाश दासाधिकारी प्रभु तथा डा० शक्ति साधन आदि प्रमुख थे।

प्रचार के दिनों में आप भाग्यकुल की राजबाड़ी में तथा कलाकोपा के श्री शम्भू साहा के घर में भी ठहरे थे। नवाबगंज (ढाका) के कालेज में आपके प्रवचन को सुन कर वहाँ के अध्यापक लोग बहुत प्रभावित व विस्मित हुए तथा आपके असाधारण व्यक्तित्व की ओर आकृष्ट हुए थे।