श्रीपाद द्वारकानाथ दास वनचारी जी द्वारा

मेरे परम आदरणीय गुरु महाराज जी,

मैं आपके चरणकमलों में परम आदर एवं विनम्रता से बारम्बार साष्टांग दण्डवत् प्रणाम करता हूँ ।

इस प्रिय व्यास पूजानृतम् के अवसर पर में अपने आनन्द, प्रेम की अनुभूति, प्यार एवं समर्पण को शब्दों से व्यक्त करने में अपने को असमर्थ पा रहा हूं। आपकी अहेतुकी कृपा ने मुझे सदैव नैतिक तथा आध्यात्मिक बल प्रदान किया है जिसका में अनुभव करता हूँ।

हे प्रभो ! कृपया इस विनम्र सेवक को अपनी करुणा का एक बिन्दु प्रदान करके तिनके से भी अधिक सुनीचता प्रदान करें तथा प्रसिद्धि व मान प्राप्त करने की कोई कामना मेरे मन में न हो ।

मैं आपके चरणकमलों की सेवा में अपने शेष जीवन को नियोजित करने की प्रार्थना करता हूँ जोकि गोलोक धाम का प्रवेश द्वार है।

आपके चरण कमलोन्मुख एक पापात्मा
द्वारका नाथ दास बनचारी ।
(श्री दीवान सिंह नागपाल)