परम पूज्यपाद त्रिदण्डिस्वामी श्री श्रीमद् भक्ति शरण त्रिविक्रम महाराज जी ने कहा

आज भगवान श्री रामचन्द्र जी की एवं हमारे निखिल भारत श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ के आचार्य श्रीपाद भक्ति बल्लभ तीर्थ महाराज जी की आविर्भाव तिथि है। भगवान और भक्त दोनों की आविर्भाव तिथियां आज एक साथ उदित हुई हैं। हम लोगों के लिये वैष्णवों का गुणगान करना अत्यन्त प्रयोजनीय है इससे जीवों का उद्धार होता है।

श्रीपाद महाराज स्वयं आचार्य नहीं बने। अपने गुरुजी के आदेश से एवं अपने गुरुजी का इच्छापूर्ति करने के लिये उन्होंने आचार्य पद ग्रहण किया। काफी समय पहले की बात बताता हूं। मैं आसान के ग्वालपाड़ा मठ में था। पूज्यपाद माधव महाराज जी भी वहीं थे। हमारी एक गुरु बहिन ने पूज्यपाद माधव महाराज को पूछा- महाराज जी आप तो अस्वस्थ हैं। आपके बाद कौन आचार्य का कार्य करेगा ? क्या आपने इसकी कोई व्यवस्था की है ?

उसकी बात सुनकर पूज्यपाद माधव महाराज हँसने लगे और हँसते-हँसते कहने लगे हां में जानता हूँ। ऐसा देसा नहीं मैं, पक्का काम करके जा रहा हूँ। गुरु बहिन ने पूछा- किसको ?

महाराज जी ने कहा- नाम तो नहीं बताऊँगा अभी, लेकिन में जिसको बनाकर जा रहा हूँ। वह मुझसे भी अच्छा है।

मैं भी ये वार्तालाप सुन रहा था। बड़े आश्चर्य चकित् होकर गुरु बहिन ने पूज्यपाद माधव महाराज जी को पूछा- क्या आपसे अच्छा भी कोई है?
हाँ है।

पूज्यपाद माधव महाराज जी मुस्कराते हुए कहते हैं-
अतः श्रीपाद तीर्थ महाराज जी की हम जो महिमा कहते हैं वह ऐसे ही नहीं कहते। मेरे सन्यास गुरु व मेरे शिक्षा गुरु पूज्यपाद भक्तिदयित माधव गोस्वामी महाराज जी से साक्षात् मैंने इनकी महिमा सुनी है।

आपको एक और बात बताता हूं। ये बात है तब की जब मेरा नया नया सन्यास हुआ था पूज्यपाद माधव महाराज मुझे अपने साथ आसाम के तेजपुर मठ में ले गये। एक दिन हम बैठे थे। मेरे बायीं ओर पूज्यपाद माधव महाराज थे और दूसरी ओर थे केशव प्रभु, जो अभी जगन्नाथ पुरी में हैं। बात-बात में पूज्यपाद माधव महाराज जी कहते हैं कि “तुम लोग शायद नहीं जानते इसलिये तुम्हें में बता दूं कि मैंने अपने तमाम कार्यों को करने के लिये तीर्थ महाराज को नियुक्त कर दिया है।”

यद्यपि आज में वृद्ध हो गया हूं। बचपन में ही में मठ में आ गया था। कौन सी सुकृति के फल से मुझे ऐसे वैष्णवों का संग मिला, मैं जानता नहीं। श्रीपाद तीर्थ महाराज जी के आप दर्शन कर रहे हैं। इनका आपको संग मिला है, ये भी आपका परम सौभाग्य है। आज पूज्यपाद तीर्थ महाराज जी की आविर्भाव तिथि है। हम सभी भाग्यशाली हैं कि हमें वैष्णव की आविर्भाव तिथि मनाने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है मुझमें तो कोई योग्यता नहीं है महाराज के बारे में कहने की। मैं तो सब तरह से ही अयोग्य हूँ। तब भी महाराज जी कृपा करके मुझे अपने साथ रखते हैं। पूज्यपाद तीर्थ महाराज जी जैसा वैष्णव आज के समय पर पृथ्वी में मिलना बहुत मुश्किल है । इतने बड़े विद्वान होते हुए भी महाराज जी बिल्कुल सरल हैं। परम पूज्यपाद माधव महाराज जी की अशेष कृपा है इनके ऊपर। गुरु कृपा बल से ही ये ऐसा अद्भुत प्रचार का असम्भव कार्य भी सम्भव कर रहे हैं। गुरु कृपा के बिना भजन में आगे बढ़ना असम्भव है। सद्गुरु कृपा से जो हो सकता है लाख जन्म तक साधन करने से भी वह नहीं हो सकता। श्रीपाद तीर्थ महाराज साधारण मनुष्य नहीं हैं। जगत का मंगल करने के लिए ही वैष्णव जगत में विचरण करते हैं।

उनके बगल में बैठा हूँ ये भी उनकी मुझ पर अहेतुकी महाराज जी की आविर्भाव तिथि में में उनके साथ हूँ, कृपा ही है मेरी तो भाषण देने की आदत नहीं है और हिन्दी भाषा भी मुझे नहीं आती है। वैष्णवों ने आदेश किया इसलिये जो भी भाषा मुझे आती थी उसमें थोड़ा मैंने बोल दिया ।
वान्छाकल्पतरुभ्यश्च कृपासिन्धु भय एव च । पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवैभ्यो नमो नमः ।