पूज्यपाद त्रिदण्डिस्वामी श्री श्रीमद् भक्ति सर्वस्व निष्किंचन महाराज जी ने कहा
आज की शुभ तिथि श्री राम नवमी है। इसी शुभ दिन में हमारे पूज्यपाद आचार्य देव जी का प्रकट दिन, इस बात का सूचक है कि महाराज जी कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं, क्योंकि विशेष दिन में विशेष व्यक्ति का ही आविर्भाव हो सकता है मेरा इनसे सम्पर्क आज से लगभग 40-45 साल पहले मुजफ्फर नगर में हुआ था। सबसे पहले जब मैंने इनके दर्शन किये थे तो तब ये वहां के श्रीसनातन धर्म मन्दिर की छत पर बड़ी एकाग्रता के साथ ज़ोर ज़ोर से बोलकर, बड़े भाव से हरिनाम कर रहे थे, जैसा कि अभी भी देखते हैं कि जब महाराज जी कीर्तन करते हैं तो कितने भाव के साथ करते हैं।
अभी हम जो ‘साधन संकेत’ हिन्दी में देखते हैं यह उसी समय पहली बार छपा था। यह पहला संस्करण मैंने और महाराज जी ने मिलकर निकाला था। महाराज जी के बारे में मैं आपको बताना चाहता हूँ कि महाराज जी का जीवन हमारे लिए एक आदर्श जीवन है। ग्रन्थों में कहते हैं कि वैष्णवों का गुणानुवाद, वैष्णवों की महिमा का श्रवण कीर्तन तो भगवान को भी प्यारा लगता है। भगवान श्रीकृष्ण जी ने गीताजी में अर्जुन को कहा कि मेरे भक्तों के भक्त मुझे प्यारे हैं। वैष्णवों की पूजा अर्चना का भी बहुत महत्त्व है। भगवान कहते हैं कि मेरे भक्त की पूजा अर्चना मुझे अपनी पूजा अर्चना से भी ज्यादा प्यारी लगती है।
भगवान की भक्ति क्या है ?
भगवान की भक्ति है कि उनके नाम, रूप, गुण व लीलादि का चिन्तन करना, वर्णन करना। यही बात भक्त में लगा दो अर्थात भगवान के भक्त का नाम लेना व भगवान के भक्त के रूप, गुण व लीलादि का वर्णन करना व सुनना, भगवान के भक्त की भक्ति के अंग हैं, यहां पर आप महाराज जी के रूप के दर्शन करने का, इनके गुणानुवाद सुनने का बड़ा सुन्दर मौका मिल रहा है। महाराज जी के बारे में मैं आपको क्या बताऊँ । एक बार मैंने गुरु महाराज जी को एक पत्र लिखा। उस पत्र में मैंने गुरु महाराज जी को लिखा था कि To be a math Incharge It is a headache It is to make the friends enimies. ये तो दोस्तों को दुश्मन बनाने वाली बात है। पत्र के जवाब में गुरु महाराज जी ने मुझे fear it is no doubt a difficult task yet if we are sincere and to sender honest services to the Supreme Lord Sree Krishna and Sree Guru dev as well as the devotees, I am sure we shall get Divine help for our spiritual Progress as well as for others. At the same time we should be cautious a careful not to indulee any body for their evil propensities.
मैं देखता हूँ कि गुरु महाराज जी की बात महाराज जी में पूरी की पूरी घटती है। आप जानते ही हैं कि प्रचार में कितनी तरह की बाधाएँ आयीं। इतनी बाधाओं के आने पर भी महाराज जी ने कितने सुन्दर ढंग से उन मुश्किलों को हल किया व कितने गम्भीरता के साथ आने वाली बाधाओं को हल कर रहे हैं। एक दिन महाराज जी मुझे कह रहे थे कि मैं आचार्य बनने के लिए मठ में नहीं आया, मैं तो गुरुजी को देखकर मठ में आया । पद के साथ मेरा कोई लगाव नहीं है।
वृद्ध पुरी महाराज जी को गुरु महाराज जी ने कहा था कि देख लेना बल्लभ मुझसे भी आगे निकलेगा ! भले ही यह बात उस समय गुरु महाराज जी ने महाराज जी के उत्साह के लिये कही हो लेकिन आज हम देखते हैं कि गुरु महाराज जी की बात बिल्कुल सच हो रही है, चारों ओर कितना प्रचार हो रहा है। प्रचार प्रभाव से न जाने कितने लोगों का कल्याण हो रहा है, कितने ही जीव सदाचारपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुये भगवान के भजन में लगे हुए हैं। ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि हम महाराज जी के आनुगत्य में चलें तो मठ भी ठीक से चलेंगे और हमें गुरुजी की कृपा भी मिलेगी।