श्रीपाद अभय चरण वनचारी जी द्वारा
आदरणीय गुरु महाराज जी, कृपया अपने श्री चरण कमलों में मेरा साष्टांग दण्डवत प्रणाम स्वीकार करें ।
इस महानतम् पावन दिवस पर हमारे नित्य हितार्थ इस भौतिक जगत मे आपके आविर्भाव पर कुछ कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मुझ पर हो रही आपकी अहेतुकी कृपा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद है तथा इसके लिये में आपका चिर ऋणी हूँ।
में प्रार्थना करता हूँ कि आपकी सेवा करने के अपने परम सौभाग्य की सीमा को एक दिन मैं समझ सकूँ।
आपकी आहेतु की कृपा का अभिलाषी
आपका आश्रित
अभय चरणदास वनचारी