नित्यलीला प्रविष्ट ॐ विष्णुपाद परिव्राजकाचार्य त्रिदण्डिस्वामी १०८ श्री श्रीमद्भक्तिविकाश हृषीकेश गोस्वामी महाराज

प्रणाम

नमो ॐ विष्णुपादाय गौरप्रेष्ठाय भूतले।
श्रीमते भक्तिविकाश हृषीकेश गोस्वामीति नामिने ।।

श्रीलभक्तिसिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी ठाकुर के श्रीचरणाश्रित श्रील हृषीकेश गोस्वामी महाराज ने पश्चिमबंग हुगली जिलान्तर्गत रिषड़ा ४५/१ केशव चन्द्र सेन रोड पर श्रीश्रीभक्तिसिद्धान्त गौड़ीय मठ स्थापन किया। वैष्णव के समस्त गुण उनके भजनादर्श जीवन में परिलक्षित हुये। उन्होंने बंगला और हिन्दी भाषा में बहुत सुन्दर मधुर हरिकथा कीर्तन एवं बड़ी-बड़ी सभा में भाषण के द्वारा श्रीचैतन्य वाणी तथा श्रील प्रभुपाद की हरिकथा का प्रचार किया। उनकी हरिकथा श्रवण कर सभी लोग बहुत आकर्षित होते थे। श्रील महाराज ने बहुत से भजन गीति लिखे हैं। १३७६ बंगाब्द १४ भाद्र, ३१ अगस्त, सन् १९८३ को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि में रात्रि १०-५ बजे. निज कृत मठ में ७२ वर्ष की आयु में अन्तर्धान लीला प्रकाश की।