कुलिया की धर्मशाला में जब श्रील बाबाजी महाराज रुके हुए थे तब श्रील प्रभुपाद वहाँ पर उनके दर्शन करने आते थे। उस समय वे उनसे उनके ब्रजवास के बारे में और ब्रज के अन्य भजनानन्दी व्यक्तियों के बारे में पूछते थे। लोगों के पास भजनानन्दी और सिद्ध महात्मा के नाम से विख्यात जिनके बारे में ही श्रील सरस्वती ठाकुर जी ने पूछा उत्तर में श्रील बाबाजी ने केवल हँसते-हँसते कहा ‘सब नकली हैं।’ कुसुम-सरोवर में * * *बाबाजी नाम के एक व्यक्ति, ‘भजनानन्दी’ के रूप में खूब प्रसिद्ध हो गये थे एवं उनके दो-एक शिष्यों ने भी उस समय सिद्ध या सिद्ध-प्राय महात्मा के रूप में, लोक दृष्टि से, प्रसिद्धि प्राप्त कर ली थी। किन्तु उस व्यक्ति का बिन्दुमात्र भी अकपट भजन है, श्रील गौरकिशोर प्रभु ने यह स्वीकार नहीं किया। कुछ दिन बाद कुसुम सरोवर के उस सिद्धनामधारी व्यक्ति को गलित – कुष्ठरोग से बहुत कष्ट से प्राणत्याग करते देखा गया। श्रीधाम में भोगबुद्धि सहित वास और फिर श्रीधाम माहात्म्य के नाम पर अधिकतर भोग प्रवृत्ति की, श्रील गौरकिशोर प्रभु, सब समय निन्दा करते थे।