Harikatha

बिना किसी अपराध के पवित्र नाम का जप करना

“कृपया बिना किसी अपराध के नियमित रूप से पवित्र नाम का जप करके हमारी खुशी बढ़ाएँ”

श्री गुरु और श्री गौरांग की जय हो!

श्री व्रजपत्तन,
अंग्रेजी कैलेंडर 22.04.18

मेरे प्रिय *** ,

सुभासिसंग राशय सन्तु विसेषाः।

मुझे आपके दिनांक 4 बैसाख के पत्र के माध्यम से समाचार मिला है । श्रीमन महाप्रभु के चरण कमलों में निवास करते हुए मैंने श्रीमद्भागवतम् पर कुछ कार्य आरंभ किया है । आज भी मैं कृष्णनगर नहीं गया। इस महीने के अंत में मैं दौलतपुर प्रपन्न आश्रम जाऊंगा। यह तय हुआ है कि मैं वहां ‘श्री सनातन शिक्षा’ और ‘श्री भक्ति-रसामृत-सिंधु’ पर आध्यात्मिक प्रवचन दूंगा ।

*** प्रभु कुशलपूर्वक हैं और हरिभजन में लीन हैं। मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि आप अपेक्षाकृत कम व्यवधान और बाधाओं के साथ हरिभजन कर रहे हैं। कृपया बिना किसी अपराध के नियमित रूप से पवित्र नाम का कीर्तन करके हमारे आनंद को बढ़ाएँ। यदि श्रीमन महाप्रभु चाहेंगे, तो हमें आपके दर्शन प्राप्त होंगे। मैं उन्हें ‘ सज्जन तोशनी’ के आठवें और नौवें संस्करण को आपके पास भेजने का निर्देश दूँगा । मुझे अक्सर आपका सौम्य, मनभावन और आकर्षक रूप याद आता है। कृपया समय-समय पर हमें अपने कुशल-क्षेम की खबर देकर हमें प्रसन्न करें।

आपका सदैव शुभचिंतक,

श्री सिद्धान्त सरस्वती