इसका क्या नुकसान होता है ? “मैं आज भोग कर लेता हूँ; कल इसे छोड़ दूंगा।” ऐसी दुर्बलता से कभी मंगल नहीं हो सकता है। हमें जो कुछ भी अपनी भक्ति के मार्ग पर बाधा स्वरूप प्रतीत होता है उसे तुरंत श्रीचैतन्य महाप्रभु की कृपा के बल से छोड़ देना चाहिए। दृढ़ संकल्प (निश्चय) ही साधन का मूल है। जब दृढ़ संकल्प नहीं होगा, तब पारमार्थिक जीवन में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
— श्रील भक्तिविनोद ठाकुर जी
सज्जनतोषणी 11/5