03. स्नेहमयी शिक्षा

आत्मा-ही-आत्मा-की-जरूरत
वास्तविक-धाम-दर्शन
सम्प्रदाय-विहीन-मन्त्र-निष्फल
भगवद् सम्बंधित वस्तु बासी नहीं होती
उदेश्य गलत तो समझ भी गलत
न-बुद्ध्या-न-च-टीकया
भगवान् साकार या निराकार
“मैं-तो-राम-का-रूप-हूँ-सजदा-करूँ-किसका
गीता का वास्तव अध्ययन
सर्वोत्तम-भजन
नाम-संकीर्तन-कलौ-परम-उपाय
सबसे बड़ा त्यागी
सुत-दारा-लक्ष्मी पापी के भी होय
भजन करनेवाला ही चतुर
अधम सेवक
पैसों के लिए की गई कथा हरिकथा नहीं है
भगवन का हुए बिना भक्ति असंभव
नारद मुनि का माया-दर्शन
ईश्वर को सभी मानते हैं
विश्व शान्ति के लिए धर्म-पालन की प्रयोजनीयता 

भारतवर्ष में यह विषय रखना जँचता नहीं है। साधारण विचार से ‘विश्व शान्ति के लिए धर्म-पालन करने की प्रयोजनीयता’ का मतलब है कि क्या अधर्म की भी विश्व शांति के लिए जरूरत हो सकती है? अभी लोगों के अन्दर ऐसी भावना आ गई है कि धर्म से शांति नहीं होगी। शायद, इसलिए इस प्रकार का विषय रखा गया है। सोचिये यदि धर्म से शान्ति नहीं होगी तो क्या अधर्म से शान्ति होगी?

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शुद्ध – भक्ति