कृष्ण भजन

पत्र, श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज

एक ब्रह्मचारी होने के कारण आप इच्छानुसार विचरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। आप अपनी योग्यता को श्रीचैतन्य महाप्रभु के दिव्य भगवद्-प्रेम के संदेश को (सर्वत्र) प्रचारित करने में नियोग करके अपना योगदान दे सकते हैं। गृहस्थ जीवन का निर्वाह करने वाले व्यक्ति ‘कूप मंडूक’—कुएं के मेंढक की भाँति एक संकीर्ण विचारधारा तक ही सीमित रहते हैं। इस दुर्लभ मनुष्य जन्म का उद्देश्य केवल कृष्ण-भजन है; पशु-पक्षियों के समान आहार, निद्रा, भय, मैथुन नहीं। इस सारतत्व को समझने वाला व्यक्ति अपनी समस्त शक्ति श्रीकृष्ण की सेवा में नियोजित करेगा। किसी भी क्षण यह देह क्षय हो सकता है और हम इस सुअवसर से वंचित हो सकते हैं। क्योंकि आप निष्ठावान हैं, मेरे विचार से आप संस्थान की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

सर्वकृपामयी श्रीगुरुगौरांग एवं श्रीराधाकृष्ण आप पर कृपा करें।
आप सभी को मेरा स्नेह।