प्रo-शास्त्र क्या साक्षात् भगवान् हैं ?
उo शास्त्र साक्षात् श्रीकृष्ण हैं श्रीकृष्ण का अवतार हैं। हम सभी के कल्याण के लिए भगवान् श्रीकृष्ण ही शास्त्र रूप में पृथ्वी पर अवतीर्ण हुए हैं। भगवान् गौरांगदेव ने कहा है—
शास्त्र—गुरु आत्मरूपे आपनारे जानान।
कृष्ण मोर प्रभु, त्राता—जीवेर ह्य ज्ञान।।
यदि हम मनोधर्म के दुवारा द्वारा चालित होकर शास्त्र—आलोचना करेंगे, तो हम वंचित हो जाएँगे। भगवान् में जिस प्रकार अचला भक्ति है, उसी प्रकार अचला भक्ति यदि श्रीगुरुदेव में होती है, तब ऐसे महात्मा के निकट ही शास्त्र का यथार्थ अर्थ प्रकाशित होता है। शास्त्र शरणागतजन के निकट ही प्रकाशित होते हैं। पण्डित—अभिमानी दाम्भिक व्यक्ति शास्त्र का तात्पर्य हर्दयगम नहीं कर पता। हम यदि काय—मन—वाक्य के द्वारा शरणागत होकर शरणागत साधू की कथा का श्रवण करेंगे, तभी शास्त्र के मर्मार्थ को समझ पाएँगे।
श्रील प्रभुपाद