गुरु महिमा सुनकर मन झूमता है

हाल ही में मैं बागबाज़ार गौड़ीय मठ में दर्शनों के लिए गया तो वहाँ पर मठ के एक जयेष्ठ ब्रह्मचारी प्रभु जी से सुन्दर वार्तालाप हुआ। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि मैं श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी का शिष्य हूँ तो उन्होंने गुरु महाराज जी की महिमा कीर्तन करना प्रारम्भ कर दिया।

   

उन्होंने मुझे एक घटना का उल्लेख किया जब कि गुरु जी दिल्ली में थे। उस समय दिल्ली गौड़ीय मठ में एक धर्म सम्मलेन का आयोजन हुआ था। धर्म सम्मलेन में पहुँचे श्रोता गण तो अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखते थे, लेकिन उस समय वहाँ कोई भी ऐसा वक्ता उपस्थित नहीं था जोकि अंग्रेजी भाषा में गौड़ीय वैष्णव दर्शन को समझा सके।

तभी वहाँ पर श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी (गुरु जी उस समय युवा और बलिष्ठ थे) पधारे और तुरंत ही श्रील भक्ति हृदय/रक्षक ऋषिकेश महाराज जी (श्रील भक्ति सिद्धान्त सरस्वती ठाकुर जी के शिष्य) ने श्रील तीर्थ महाराज जी से आग्रह किया की वे अंग्रेजी भाषा में गौड़ीय वैष्णव दर्शन के विषय में प्रवचन दें। इसके बाद श्रील तीर्थ महाराज जी ने गौड़ीय वैष्णव दर्शन के विषय में अंग्रेजी में विस्तार से चर्चा की। व्याख्यान के अन्त में सभी उपस्थित भक्त गण अत्यन्त ही मंत्रमुग्ध और संतुष्ट थे।

जब श्रील तीर्थ महाराज जी मंच से नीचे उतरे तो पूज्यपाद ऋषिकेश महाराज जी ने आगे बढ़ कर श्रील तीर्थ महाराज जी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि, “परम करुणामय श्रीमन् चैतन्य महाप्रभु और श्रीगुरुदेव आप पर सदैव कोटि कोटि आशीर्वाद वर्षण करें।”

प्रभु जी से अपने गुरुमहाराज जी की महिमा कीर्तन सुनने के बाद हृदय में अतीव प्रसन्नता का अनुभव हुआ। और फिर मैं सोचने लगा कि आज बागबाज़ार मठ में आकर मैं कृतार्थ हो गया। जब भी दूसरों से श्रील गुरु महाराज जी की अपूर्व महिमा सुनने को मिलती है तो ह्रदय झूमने लगता है।

जय श्रीगुरु गौरांग राधाविनोदानन्द जू
जय श्रील भाक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर जी
जय श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज
जय गुरुदेव श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज

वैष्णव दासानुदास
सुन्दरगोपाल दास