भजन राज्य में अपराध भयानक दोष और त्रुटि है । श्रीनामपराध, धामापराध, सेवापराध साधन क्षेत्र में सब प्रकार से परित्यज्य है । परन्तु इन्हें कम समय में वर्जन करना अत्यन्त कठिन कार्य है । श्रीनाम-प्रभु और श्रीधाम से प्रार्थना करनी होती है, जिससे अपराध से निर्मुक्त होकर हम धामवास और श्रीनाम-ग्रहण कर सकें । श्रीगुरु-वैष्णवों की चरणरज की प्राप्ति और उनकी अहेतुकी करुणा ही हमें वास्तव योग्यता और अधिकार में प्रतिष्ठित कर सकती है । भजन राज्य में पार्थिव समस्त योग्यताएँ निरर्थक हैं तथा दाम्भिकता की परिचायक हैं ।