हमारे लिए श्रीकृष्णकी अपेक्षा श्रीगुरुदेव की अधिक प्रयोजनीयता है। श्रीगौरसुन्दर समस्त गुरुओंके भी गुरु हैं। उनहोंने बताया कि गुरु भगवान् से अभिन्न होने पर भी भगवद्भक्तों के प्रधान तत्व के रूपमें गुरुतत्व का अवस्थान है। श्रीगुरुदेव कृष्ण के प्रेष्ठ तथा वैष्णवों में सर्वश्रेष्ठ हैं। वे भक्तराज-सेवक भगवान्-सेवाविग्रह-आश्रयविग्रह हैं। वे कृष्ण की भांति विषय विग्रह या भोक्ता-तत्व नहीं है।