भगवान् के आविर्भाव का मुख्य कारण तो भक्त हैं। जैसे पति के विरह से कातर सद्पत्नी का दुःख, पति के अतिरिक्त अन्य किसी प्रतिनिधि के द्वारा, किसी द्रव्य या किसी भी उपाय से दूर नहीं हो सकता, उसी प्रकार भगवान् के अवतीर्ण न होने तक भक्त का विरह – दु:ख दूर नहीं होता। इसलिये साधुओं के परित्राण अर्थात् उन्हें दर्शन देकर उनके विरह दु:ख को दूर करने के लिये ही भगवान् जगत् में आते हैं।
:- श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी